राजस्थान : बीजेपी प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुटी, गुजरात फॉर्मूला राजस्थान में किया जायेंगा लागू
जयपुर : अब से ठीक एक साल बाद दिसंबर 2023 में राजस्थान में विधानसभा चुनाव होंगे। इस चुनाव के परिणाम 2024 के लोकसभा चुनाव पर बड़ा असर डालेंगे। ऐसे में अब बीजेपी प्रदेश में आगामी विधानसभा की तैयारियों में जुट गई है।
जिसके चलते गुजरात में मिली ऐतिहासिक जीत का फॉर्मूला बीजेपी राजस्थान में भी लागू करेगी। इस फॉर्मूले ने बीजेपी नेताओं की अभी से धड़कनें बढ़ा दी हैं। मौजूदा 71 में से 40 विधायकों के टिकट कटेंगे। साथ ही 200 में से 100 सीटों पर नए चेहरों को मौका मिलेगा। माना जा रहा है कि गुजरात में पूर्व सीएम और डिप्टी सीएम का टिकट काट दिया गया था। ऐसे में यहां भी कुछ बड़े चेहरों के टिकट कटेंगे। भाजपा के नेता-कार्यकर्ता गुजरात मॉडल को सत्ता में लौटने की सीढ़ी मानती है।

राजस्थान में गुजरात मॉडल लागू करने के लिए भाजपा को न सिर्फ कड़ी मेहनत करनी होगी, बल्कि मौजूदा रस्साकशी से पार पाकर सबको एक साथ लेकर ऐसी प्रभावशाली कार्य योजना बनानी होगी जो उसे सत्ता में ला सके। गुजरात में भाजपा 27 साल से सत्ता में है। इस बार सातवीं बार उसने सत्ता पर कब्जा बरकरार रखा है। अपने विकास के मॉडल और संगठन की मजबूती के दम पर पार्टी लगातार जीतती आ रही है। गुजरात सहित 7 राज्यों के प्रभारी रह चुके भाजपा के वरिष्ठ नेता ओम माथुर ने बताया कि गुजरात में संगठन की मजबूती ही भाजपा का पहला फोकस है।

बता दे कि साल 2004 के लोकसभा चुनाव के बाद से गुजरात भाजपा में संगठन स्तर पर पन्ना प्रमुख बनाने की शुरुआत की गई। हर बूथ पर वोटर लिस्ट के प्रत्येक पन्ने का एक प्रमुख होता है। जो उस पन्ने में शामिल वोटर्स की सार-संभाल करने और उनसे लगातार जुड़े रहकर चुनाव में पार्टी के पक्ष में वोट डलवाने का काम करते हैं। गुजरात के मॉडल में पन्ना प्रमुख ही वो कड़ी है, जो पार्टी की लगातार सफलता का मॉडल बना हुआ है। राजस्थान में संगठन को मजबूत करने और चुनाव में वोटर को घर से निकालकर बूथ तक पहुंचाने के लिए गुजरात की तर्ज पर सक्रिय पन्ना प्रमुख बनाने का बड़ा काम पूरा करना है भाजपा के प्रदेश मंत्री श्रवण सिंह बगड़ी का कहना है कि राजस्थान में 52 हजार बूथ हैं, जिनमें से लगभग 47 हजार बूथों पर बूथ कमेटियां बन चुकी हैं। पन्ना प्रमुख बनाने का काम अभी चल रहा है। पार्टी के लिए पन्ना प्रमुख की बड़ी भूमिका रहती है।
जिस तरह से कांग्रेस में नेतृत्व की होड़ खुले आम है, भाजपा में आंतरिक लड़ाई छिड़ी हुई है। इस पर तत्काल कंट्रोल करके जनता में विश्वास पैदा करना होगा कि सब साथ हैं। चुनाव से पहले लोगों में यह विश्वास पैदा करना होगा कि नेताओं की गुटबाजी समाप्त हो गई और सब मिलकर काम कर रहे हैं। एकजुट होकर काम करने की यह सबसे बड़ी चुनौती है। राजस्थान में संगठित अपराध, भ्रष्टाचार, बेरोजगारी, किसानों के ऋण माफी जैसे बड़े मुद्दे हैं। सत्ता के खिलाफ भाजपा ने सभी विधानसभा क्षेत्रों में आक्रोश रैलियां निकालकर पब्लिक में माहौल बनाने की कोशिश शुरू कर दी है। जयपुर में एक दिसंबर से इसकी शुरुआत की गई जो 14 दिसंबर तक चलेगी। चुनाव में बचे हुए एक साल में राजस्थान बीजेपी को केंद्रीय नेतृत्व से यह टास्क मिला है कि वह लगात्तार जनविरोधी नीतियों को लेकर मौजूदा सरकार पर हावी हो जीत का माहौल बनाए।
