रक्षाबंधन के त्योहार पर चित्तौड़गढ़ में श्रीसांवलिया सेठ को ‘कृष्णा’ लिखी रत्नजड़ित राखी भेंट
रक्षाबंधन के त्योहार पर चित्तौड़गढ़ में श्रीसांवलिया सेठ और भगवान हजारेश्वर महादेव को राखी बांधी गई। सावन महीने के आखिरी दिन रक्षाबंधन का पर्व पर श्रद्धालुओं ने भगवान को राखी भेंट की। राजस्थान के प्रसिद्ध मंदिर श्रीसांवलियाजी मंदिर में रक्षाबंधन का पर्व बहुत ही धूमधाम से मनाया जा रहा है। सुबह सबसे पहले भगवान श्रीसांवरा सेठ को विशेष रूप से तैयार की गई राखी बांधी गई। इस राखी पर “कृष्णा” लिखा हुआ है। इसमें कई छोटे और बड़े रत्न जड़े हुए हैं। यह रक्षा सूत्र मंदिर में आए सभी भक्तों के लिए आकर्षण का केंद्र बना रहा।
राखी बांधने से पहले भगवान सांवलिया सेठ की मंगला आरती की गई। इसके बाद उन्हें सोने के बने सुंदर कपड़े पहनाए गए। भगवान को विशेष फूलों और आभूषणों से सजाया गया। जब भगवान का पूरा श्रृंगार हो गया, तब उन्हें राखी बांधी गई और भक्ति भाव से आरती की गई।
इस दौरान मंदिर में भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी। आसपास के गांवों और शहरों से बड़ी संख्या में लोग भगवान को राखी बांधने और दर्शन करने के लिए आए। भक्तों का मानना है कि भगवान को राखी बांधने से उनका आशीर्वाद मिलता है और परिवार में सुख-शांति बनी रहती है।
सिर्फ सांवरा सेठ ही नहीं, बल्कि श्री हजारेश्वर महादेव मंदिर में भी रक्षाबंधन का पर्व खास तरीके से मनाया गया। सुबह ब्रह्म मुहूर्त में महंत चंद्र भारती जी महाराज के नेतृत्व में पूजा-पाठ शुरू हुआ। इस अवसर पर महादेव को खीर से अभिषेक किया गया। माना जाता है कि सावन महीने के अंतिम दिन खीर से भगवान शिव का अभिषेक करना बहुत पुण्यदायी होता है।
खीर से अभिषेक के बाद महादेव को रक्षा सूत्र (राखी) बांधा गया। फिर फूलों और अन्य वस्तुओं से उनका सुंदर श्रृंगार किया गया। इस पूजा में कई विद्वान ब्राह्मण शामिल हुए, जिनमें कृतिका, जितेंद्र वैष्णव, पंडित विष्णु शर्मा, पवन शर्मा, मुरली शर्मा, शिव शंकर शर्मा और भवानी शंकर शामिल थे। इन सभी ने मिलकर पूरे विधि-विधान से अभिषेक और रक्षा सूत्र बांधने की पूजा करवाई।
इस मौके पर मंदिर में काफी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे। लोगों ने भगवान के दर्शन किए, पूजा-अर्चना की और भगवान को राखी चढ़ाकर उनका आशीर्वाद लिया। मंदिर परिसर में भक्ति भाव का सुंदर माहौल देखने को मिला। भक्तों ने भजन-कीर्तन भी किए और रक्षाबंधन के इस खास दिन को भगवान के साथ मनाया।
हिंदू धर्म में रक्षाबंधन का बहुत बड़ा महत्व है। इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं और उनकी लंबी उम्र व खुशहाली की कामना करती हैं। वहीं, भाई अपनी बहनों की रक्षा का वचन देते हैं। लेकिन इसी तरह देवी-देवताओं को भी राखी बांधने की परंपरा है। इससे यह विश्वास जुड़ा होता है कि भगवान भी हमें हर बुराई और संकट से बचाते हैं।
