राजस्थान विधानसभा उपचुनाव : दक्षिणी राजस्थान की दोनों सीट सलूंबर और चौरासी पर मुकाबला दिलचस्प, त्रिकोणीय मुकाबले से तेजी से बदल रहे समीकरण

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डीपी न्यूज नेटवर्क ।

  • दक्षिणी राजस्थान की दो सीटें सलूंबर और चौरासी विधानसभा सीट पर मुकाबला त्रिकोणीय है । जहां बीजेपी-कांग्रेस के कड़े मुकाबले के बीच भारत आदिवासी पार्टी (BAP) ने मुकाबले को रोचक बना दिया है । 

राजस्थान विधानसभा उपचुनाव : Rajasthan में विधानसभा उपचुनाव ( Assembly by-election) के प्रचार प्रसार का दौर अंतिम चरण (Last stage) में पहुंच चुका है ।  वहीं राजनीतिक पार्टियां( political party) अपना दमखम भी पूरी तरह से झोंक रही है. जीत दर्ज करने के लिए नेता और कार्यकर्ता एक-एक वोट जोड़ने में जुटे हैं।  लेकिन असल मुश्किल तो बागी नेताओं ने बढ़ा रखी है पूरी पार्टी इन बागी नेताओं को मनाने में जुटी है कुछ को मना लिया गया है जबकि कुछ को अब भी मनाने में जुटे हैं । दक्षिणी राजस्थान (South Rajasthan) की दो सीटें सलूंबर (salumber) और चौरासी (chourasi) विधानसभा सीट पर मुकाबला त्रिकोणीय है । जहां बीजेपी-कांग्रेस के बीच भारत आदिवासी पार्टी (BAP) ने मुकाबले को दिलचस्प बना दिया है । जब त्रिकोणीय मुकाबला होता है तो बात रणनीति और गणित की होती है । अगर रणनीति और गणित सही बैठा तभी मुकाबले को जीतना आसान होता है ।

चौरासी सीट पर बीएपी को बगावत का सबसे पहले सामना करना पड़ा, यहां पोपट खोखरिया ने सबसे पहले बगावत की लेकिन पार्टी ने उन्हें मना लिया । हालांकि दूसरे बागी बदामीलाल ताबियाड़ अभी भी मैदान में हैं ।  हालांकि इस सीट पर बीएपी ने पिछली बार बड़ी जीत दर्ज की थी । इसलिए पार्टी को बागी उम्मीदवार से बहुत ज्यादा खतरा नहीं लग रहा ।  वहीं सलूंबर में भाजपा और कांग्रेस दोनों के बागी उम्मीदवार ताल ठोकने की कोशिश में थे लेकिन पार्टियों ने उन्हें भी मना लिया है । भाजपा के नरेंद्र मीणा के बागी तेवर मुख्यमंत्री से मिलने के बाद शांत हो गए थे तो कांग्रेस के रघुवीर मीणा की लंबी नाराजगी अशोक चांदना ने दूर करा दी है । बागियों के मानने के बाद पार्टियां अब अपने वोट बैंक पर फोकस कर रही हैं  क्योंकि यहां आदिवासी से लेकर युवा वोट बैंक जिसके पास होगा जीत उसी की होगी ।

सलूंबर सीट भाजपा पिछले तीन बार से जीतती रही है  इस बार यहां से विधायक रहे अमृतलाल मीणा की पत्नी शांता देवी मीणा मैदान में हैं ।  नरेंद्र मीणा के बागी होने से उनकी राह मुश्किल होती। नरेंद्र मीणा युवा है, कार्यकर्ताओं में मजबूत पकड़ है । अब वे शांता देवी के लिए प्रचार कर रहे हैं कांग्रेस के रघुवीर मीणा इलाके के कद्दावर नेता रहे हैं ।  सलूंबर को जिला बनाने में उनकी भूमिका थी ।  उनके बागी होने से कांग्रेस की रेशमा मीणा की मुश्किलें बढ़ती दिखाई दे रही थीं हालांकि कल अशोक चांदना के मनाने के बाद वे भी अब कांग्रेस के लिए मैदान में हैं ।

भाजपा और कांग्रेस जहां अपने अपने बागियों को मना चुकी वहीं बीएपी ने एक बागी उम्मीदवार को मनाया लेकिन दूसरा अब भी मैदान में है ।  हालांकि पार्टी इसे अभी चुनौती नहीं मानती ।

“राजस्थान की 7 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं ।  ऐसे में बीएपी चौरासी और सलूंबर की सीट पर मजबूती से चुनाव लड़ रही है । बीएपी दावा कर रही है कि हमारी पार्टी कैडर बेस्ड पार्टी है ।  इसलिए हमारे मतों पर कोई असर नहीं होने जा रहा है, हम दोनों सीटें जीतेंगे ।

 

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