खेतो में फसलों को सुवरो से बचाने के लिए लगाए गए झाल मै फस बैठा नर पैंथर,रेस्क्यू के बाद सुरक्षित घने वन क्षेत्र में छोड़ा

बांसवाड़ा से धर्मेश सोमपुरा की रिपोर्ट

बांसवाड़ा । जिला मुख्यालय से महज 18 किलोमीटर दूर वजवाना ग्राम के एक खेत में शाम को खेत मालिक ने पैंथर देखा। पैंथर खेतों में सुअर से फसल बचाने के लिए लगाए गए जाल में फंस गया था। उससे निकलने की कोशिश में वह और अधिक उलझ गया। पैंथर देख खेत मालिक ने तत्काल सूचना सहायक वनपाल जसवंत रावल और वनकार्मिकों को दी। इस पर बांसवाड़ा मुख्यालय पर सूचना मिलते ही वन विभाग के अला अधिकारी टीमो के साथ मौके पर पहुंचे । वहां पैंथर को ट्रेंकुलाइज किया गया। इसके बाद जैसे ही उस पर बेहोशी का असर दिखने लगा तो उसे ग्रामीण व जीव सरक्षण राजेंन्द्र गोरी की मदद से वन विभाग की टीम ने पिंजरे में डाल दिया। इसके बाद पैंथर को जिला मुख्यालय लाया गया और कुछ देर बाद ही वन क्षेत्र में छोड़ दिया गया। वन विभाग के अधिकारियो ने बताया की पैंथर नर था और पूर्ण वयस्क था।

यु तो पहाड़ और पानी से घिरा हुआ बांसवाड़ा का जंगल हमेशा से ही पैंथर का मनपसंद एरिया रहा है. बांसवाड़ा में हुई आखरी वन्यजीव गणना के अनुसार 26 पैंथर पहचाने गए थे. अनुमान इससे भी कहीं ज्यादा का है. आदिवासी बहुल करीब 20 लाख की आबादी वाले जिले का क्षेत्रफल 5037 वर्ग किलोमीटर है. यहां पर बारिश भी पूरे राजस्थान में सर्वाधिक होती है, जिसका औसत 850 एमएम के करीब है. ऐसे में यहां का जंगल वन्यजीव और वनस्पति के लिए आदर्श है. जिले के बीच से माही नदी बहती है. इन कारणों के चलते घाटोल रेंज में सर्वाधिक पैंथर दिखाई देते हैं ।

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