सांसद सी.पी.जोशी बने संसदीय संयुक्त समिति के अध्यक्ष
बहु-राज्य सहकारी समिति (संशोधन) विधेयक, 2022 के लिए बनी संसद की संयुक्त समिति
उदयपुर । लोकसभा अध्यक्ष माननीय ओम बिड़ला ने चितौड़गढ़ लोकसभा सांसद सी.पी.जोशी को बहु-राज्य सहकारी समिति (संशोधन) विधेयक, 2022 के लिए बनी संसद की संयुक्त समिति का अध्यक्ष नियुक्ति किया है।
संसद के शीत कालीन सत्र के दौरान लोक सभा में प्रस्तुत बहु-राज्य सहकारी समिति (संशोधन) विधेयक, 2022 को प्रस्तुत किया गया था। इस विधेयक का उद्देश्य सहकारी क्षेत्र में जवाबदेही बढ़ाना एवं इसकी चुनावी प्रक्रिया में सुधार करना है।
संसद के इस केंद्रीय गृह मंत्री एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में इस विधेयक को संयुक्त समिति के विचारार्थ भेजने का प्रस्ताव रखा था, जिसे सदन ने मंजूरी दी थी।
लोकसभा में केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने लोकसभा के 21 सदस्यों एवं राज्य सभा के 10 सदस्यों के साथ संयुक्त समिति बनाने की सिफारिश की थी।
संसदीय संयुक्त समिति में चेयरपर्सन सी.पी.जोशी के अतिरिक्त लोकसभा के सांसद जगदंबिका पाल, परबत भाई पटेल, पूनमबेन मदाम, रामदास तड़स, अण्णासाहेब जोल्ले, निशिकांत दुबे, सुनीता दुग्गल, बृजेंद्र सिंह, जसकौर मीणा, रामकृपाल यादव और ढाल सिंह बिशेन, कोडिकुनिल सुरेश ,मनीष तिवारी, कनिमोझी, कल्याण बनर्जी, लव श्रीकृष्णा, हेमंत पाटिल, दुलाल चंद्र गोस्वामी, चंद्रशेखर साहू और गिरीश चंद्र को शामिल किया गया है।
वहीं राज्यसभा से घनश्याम तिवारी, सुरेंद्र सिंह नागर, धनंजय भीमराव महादिक, रामचंद्र जांगड़ा, श्रीमती रजनी अशोक पाटिल, शुभेंदु शेखर राय, ऐन. आर. एलांगो, बिक्रमजीत सिंह साहनी, सुजीत कुमार तथा एस निरंजन रेड्डी शामिल है।
नियमानुसार यह संसदीय संयुक्त समिति अपनी विस्तृत रिपोर्ट लोक सभा के पटल पर आगामी बजट सत्र 2023 में रखेगी।
इससे पहले केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बहु-राज्य सहकारी समिति (संशोधन) विधेयक, 2022 को मंजूरी दे दी है। यह बहु-राज्य सहकारी समिति अधिनियम, 2002 में संशोधन करना चाहता है। इस बिल से शासन में सुधार, बहु राज्य सहकारी समितियों में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाने का कार्य होगा। निष्पक्ष, स्वतंत्र और समय पर चुनाव सुनिश्चित करने के लिए चुनाव प्राधिकरण की स्थापना की जाएगी।
संचालन और प्रबंधन के प्रमुख क्षेत्रों को कवर करने वाले प्रस्तावित संशोधन देश में सहकारी आंदोलन को मजबूत करने में काफी मददगार साबित होंगे।
भारत में 1500 से अधिक बहु-राज्य सहकारी समितियां हैं जो अपने सदस्यों की आर्थिक और सामाजिक बेहतरी को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण के रूप में काम कर रही हैं। इन बहुराज्यीय सहकारी समितियों के शासन को अधिक लोकतांत्रिक, पारदर्शी और जवाबदेह बनाने के लिए सहकारी चुनाव प्राधिकरण, सहकारी सूचना अधिकारी और सहकारी लोकपाल की स्थापना के प्रावधानों को संशोधन में प्रस्तावित किया गया है।
सहकारी समितियों के बोर्ड में महिलाओं और अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के सदस्यों के प्रतिनिधित्व से संबंधित प्रावधानों को समावेशन की सुविधा के लिए शामिल किया गया है।
पेशेवर प्रबंधन को बढ़ावा देने के लिए बैंकिंग, प्रबंधन, सहकारी प्रबंधन और वित्त के क्षेत्र में अनुभव रखने वाले सहयोजित निदेशकों की नियुक्ति की जाएगी।
गलतियों को सुधारने के लिए आवेदकों को दो महीने का अतिरिक्त समय मांगने के प्रावधान के साथ पंजीकरण की अवधि को कम करके व्यापार करने में आसानी को बढ़ाने के लिए भी संशोधन का प्रस्ताव किया गया है। यह इलेक्ट्रॉनिक सबमिशन और दस्तावेजों को जारी करने के लिए भी प्रदान करता है।