कलयुग के प्रभाव से बचने का एक मात्र उपाय भगवान का स्मरण करना है – पंडित ब्रजेश आमेटा

भागवत कथा में आस पास के गांवो से सेकड़ो पहुँच रहे है भक्तगण

डीपी न्यूज़ : कन्हैयालाल मेनारिया

वल्लभनगर । धारता गांव में मुख्य यजमान रतन लाल आमेटा द्वारा आयोजित भागवत कथा के तीसरे दिन रतन लाल आमेटा द्वारा सपत्नी श्रीकृष्ण भगवान की पूजा, अर्चना कर पंडित ब्रजेश पाराशर (आमेटा) द्वारा की शुरूआत हुई। इस अवसर पर पंडित ब्रजेश पाराशर (आमेटा) ने सभी भक्तो को सम्बोधित करते हुए कहा कि भगवान को पाना है तो नियम बनाना होगा तभी भगवान की प्राप्ति होगी। उन्होंने कहा कि संसार में कोई यदि सुखी या कोई दुखी है तो वो अपने किये कर्म का फल भोग रहा है। कलयुग के प्रभाव से बचने का एक मात्र उपाय भगवान का स्मरण है। पंडित ब्रजेश आमेटा ने महाराज परीक्षित की कथा सुनाई। जिसमें राजा परीक्षित संवाद, शुकदेव जन्म, कपिल संवाद का प्रसंग सुनाया। कथा वाचक ने शुकदेव परीक्षित संवाद का वर्णन करते हुए कहा कि एक बार परीक्षित महाराज वनों में काफी दूर चले गए। उनको प्यास लगी, पास में समीक ऋषि के आश्रम में पहुंचे और बोले ऋषिवर मुझे पानी पिला दो मुझे प्यास लगी है, लेकिन समीक ऋषि समाधि में थे, इसलिए पानी नहीं पिला सके। परीक्षित ने सोचा कि इसने मेरा अपमान किया है मुझे भी इसका अपमान करना चाहिए। उसने पास में से एक मरा हुआ सर्प उठाया और समीक ऋषि के गले में डाल दिया। यह सूचना पास में खेल रहे बच्चों ने समीक ऋषि के पुत्र को दी। ऋषि के पुत्र ने नदी का जल हाथ में लेकर शाप दे डाला जिसने मेरे पिता का अपमान किया है आज से सातवें दिन तक्षक नामक सर्प पक्षी आएगा और उसे जलाकर भस्म कर देगा। इस अवसर पर श्रद्धालुओं ने भगवान के भजनो पर नाचने और झूमने का आनंद लिया। उक्त जानकारी मुकेश चंद्र आमेटा ने दी।

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