कोई है रे परले पार का, जो भेद कहे झंकार का:- जगतगुरु तत्त्वदर्शीसंत रामपाल जी महाराज
विनोद कुमार रेगर
आमेट (राजसमंद) – उपखंड के गाँव सियाणा में मुनींद्र धर्मार्थ ट्रस्ट द्वारा प्रोजेक्टर के माध्यम से जगतगुरु तत्त्वदर्शी संत रामपाल महाराज का एक दिवसीय सत्संग समारोह का आयोजन डालू राम के निवास पर आयोजित हुआ। जिसमें संत रामपाल महाराज के मुखारविंद से सभी धर्मो के पवित्र सद्ग्रन्थों के आधार पर बताये गए प्रमाणित ज्ञान की बौछार सभी श्रोतागण भक्तो ने स्वीकार किया संत रामपाल महाराज ने अपने पवित्र सद्ग्रन्थों से मानव समाज के कल्याण की कामना करते हुए बताया कि मानुष जनम दुर्लभ है, ये मिले ना बारम्बार। जैसे तरुवर से पत्ता टूट गिरे,वो बहुर (वापस) ना लगता डार इसी प्रकार मनुष्य जीवन सद्भक्ति व पूर्णगुरु ना मिलने से व्यर्थ चला जाता है । और चौरासी लाख योनियों में भटकता फिरता है कही उसका मोक्ष नही हो पाता संत रामपाल महाराज ने भक्ति मर्यादा की कुछ विशेषता बताई है। जिसमें रिश्वत खोरी,भ्रष्टाचार,दहेजप्रथा, मांस- तम्बाखु का सेवन ना करना, परनारी को बहन-बेटी के समान मानना ।इन सभी की पालना करने वाला साधक ही मोक्ष की श्रेणी में माना गया है।
इसके साथ-साथ पूर्ण परमात्मा की पहचान पवित्र गीता में दिये ज्ञान के आधार पर पहचानी जा सकती है।कबीर ने बताया है कि पर्वत-पर्वत मै फिरा, कारण अपने राम। राम सरीखे जन मिले, जिन सारे सब काज। एक दिवसिय सत्संग समारोह में आसपास के लोगों ने सत्संग श्रवण किया और बुराइयां अपने मन के भीतर से मिटाने का निश्चय किया।